म्यूचुअल फंड के प्रकार – Types of Mutual Funds in Hindi
म्यूचुअल फंड के प्रकार
विस्तृत गाइड – भारतीय निवेशकों के लिए
म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार
भारतीय बाजार में विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड उपलब्ध हैं जो विभिन्न निवेश लक्ष्यों और जोखिम प्रोफाइल के अनुरूप हैं। मुख्य रूप से म्यूचुअल फंड को चार आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है:
- संरचना के आधार पर
- परिसंपत्ति वर्ग के आधार पर
- निवेश उद्देश्य के आधार पर
- अन्य विशेष श्रेणियां
1. संरचना के आधार पर म्यूचुअल फंड
ओपन-एंडेड फंड
- सबसे आम प्रकार का म्यूचुअल फंड
- किसी भी समय निवेश या रिडेम्पशन किया जा सकता है
- कोई निश्चित परिपक्वता अवधि नहीं होती
- फंड की यूनिट्स की संख्या लचीली होती है
- उदाहरण: अधिकांश इक्विटी और डेट फंड
क्लोज-एंडेड फंड
- निश्चित परिपक्वता अवधि के साथ लॉन्च होते हैं (3-7 वर्ष)
- निवेश केवल न्यू फंड ऑफर (NFO) के दौरान किया जा सकता है
- परिपक्वता से पहले स्टॉक एक्सचेंज पर ही बेचा जा सकता है
- फंड की यूनिट्स की संख्या निश्चित होती है
- उदाहरण: कुछ टैक्स सेविंग फंड
इंटरवल फंड
- ओपन और क्लोज-एंडेड फंड का मिश्रण
- निवेश और रिडेम्पशन के लिए निश्चित अंतराल होते हैं
- अधिकांश समय बंद रहते हैं, लेकिन निश्चित अवधि में खुलते हैं
- उदाहरण: कुछ डेट फंड
2. परिसंपत्ति वर्ग के आधार पर म्यूचुअल फंड
इक्विटी फंड
- मुख्य रूप से कंपनियों के शेयरों/स्टॉक में निवेश
- उच्च जोखिम और उच्च रिटर्न की संभावना
- दीर्घकालिक निवेश (5+ वर्ष) के लिए उपयुक्त
- प्रमुख प्रकार:
- लार्ज कैप फंड – बड़ी कंपनियों में निवेश
- मिड कैप फंड – मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश
- स्मॉल कैप फंड – छोटी कंपनियों में निवेश
- मल्टीकैप फंड – सभी आकार की कंपनियों में निवेश
डेट फंड
- मुख्य रूप से बॉन्ड, डिबेंचर और अन्य ऋण साधनों में निवेश
- कम जोखिम और स्थिर रिटर्न
- अल्पकालिक और मध्यम अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त
- प्रमुख प्रकार:
- लिक्विड फंड – अति अल्पकालिक निवेश
- गिल्ट फंड – सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश
- कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड – कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश
हाइब्रिड फंड
- इक्विटी और डेट दोनों में निवेश
- जोखिम और रिटर्न दोनों मध्यम स्तर के
- प्रमुख प्रकार:
- एग्रेसिव हाइब्रिड – इक्विटी में अधिक निवेश (65-80%)
- कंजर्वेटिव हाइब्रिड – डेट में अधिक निवेश (75-90%)
- बैलेंस्ड फंड – इक्विटी और डेट में संतुलित निवेश
मनी मार्केट फंड
- अल्पकालिक डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश
- न्यूनतम जोखिम और न्यूनतम रिटर्न
- अति अल्पकालिक निवेश (कुछ दिन से कुछ महीने) के लिए उपयुक्त
3. निवेश उद्देश्य के आधार पर म्यूचुअल फंड
ग्रोथ फंड
- दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि पर फोकस
- लाभांश वितरण कम करते हैं
- अधिकांश इक्विटी फंड इस श्रेणी में आते हैं
इनकम फंड
- नियमित आय उत्पन्न करने पर फोकस
- निवेशकों को नियमित लाभांश वितरित करते हैं
- अधिकांश डेट फंड इस श्रेणी में आते हैं
टैक्स सेविंग फंड (ELSS)
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम
- आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट
- 3 साल की लॉक-इन अवधि
- इक्विटी फंड की तरह जोखिम और रिटर्न प्रोफाइल
4. अन्य विशेष श्रेणियां
सेक्टर फंड
- किसी विशेष सेक्टर या उद्योग में निवेश
- उच्च जोखिम – केवल उस सेक्टर के प्रदर्शन पर निर्भर
- उदाहरण: बैंकिंग फंड, IT फंड, फार्मा फंड
इंडेक्स फंड
- किसी विशेष सूचकांक (जैसे Nifty 50, Sensex) को ट्रैक करते हैं
- कम एक्सपेंस रेशियो (चूंकि सक्रिय प्रबंधन नहीं होता)
- उदाहरण: Nifty 50 इंडेक्स फंड
इंटरनेशनल फंड
- विदेशी बाजारों में निवेश
- भारतीय बाजार से विविधीकरण का अवसर
- मुद्रा जोखिम भी होता है
फंड ऑफ फंड्स (FoF)
- अन्य म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं
- विविधीकरण का अतिरिक्त स्तर प्रदान करते हैं
म्यूचुअल फंड प्रकारों की तुलना
फंड प्रकार | जोखिम स्तर | अनुमानित रिटर्न | निवेश अवधि |
---|---|---|---|
इक्विटी फंड | उच्च | 12-18% | 5+ वर्ष |
डेट फंड | कम से मध्यम | 6-9% | 1-3 वर्ष |
हाइब्रिड फंड | मध्यम | 8-12% | 3-5 वर्ष |
मनी मार्केट फंड | न्यूनतम | 4-7% | कुछ दिन से महीने |
ELSS | उच्च | 12-15% | 3+ वर्ष (लॉक-इन) |
निष्कर्ष
म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार निवेशकों को उनकी वित्तीय आवश्यकताओं, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश लक्ष्यों के अनुसार विकल्प प्रदान करते हैं। एक स्मार्ट निवेशक के रूप में, आपको अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप फंड का चयन करना चाहिए।
सलाह: विविधीकरण के लिए विभिन्न प्रकार के फंड्स में निवेश करें। केवल एक ही प्रकार के फंड में सारा पैसा न लगाएं। अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करके ही निवेश निर्णय लें।