
ETF के प्रमुख प्रकार: भारतीय निवेशकों के लिए सम्पूर्ण गाइड
Exchange Traded Funds (ETF) ने भारतीय निवेश जगत में क्रांति ला दी है। ये फंड शेयरों की तरह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं, पर म्यूचुअल फंड जैसा डायवर्सिफिकेशन (विविधीकरण) देते हैं। आइए जानते हैं भारत में उपलब्ध मुख्य ETF प्रकार और उनकी खासियतें:
1. इंडेक्स ETF (Index ETFs) – मार्केट की पल्स पकड़ें
ये ETF किसी स्टॉक मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, जैसे:
Nifty 50 ETF: भारत के टॉप 50 कंपनियों में निवेश (उदा. ICICI Prudential Nifty ETF)
Sensex ETF: BSE के 30 ब्लू-चिप स्टॉक्स (उदा. SBI ETF Sensex)
क्यों चुनें?पूरे इंडेक्स की परफॉर्मेंस मिलती है
लो एक्सपेंस रेशियो (0.05%-0.35%)
लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिए आदर्श
2. सेक्टोरल ETF (Sectoral ETFs) – टार्गेटेड एक्सपोजर
किसी खास इंडस्ट्री में फोकस्ड निवेश:
IT Sector ETF: TCS, Infosys जैसी टेक कंपनियों में एक्सपोजर
Banking ETF: HDFC बैंक, ICICI बैंक जैसे लीडर्स पर फोकस
Energy/Infrastructure ETFs: ग्रोथ सेक्टर्स में पोजीशनिंग
सावधानी: सेक्टोरल ETF में वोलेटिलिटी (उतार-चढ़ाव) ज्यादा होती है। एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि पोर्टफोलियो का 15-20% से ज्यादा इनमें न लगाएं।
3. बॉन्ड ETF (Bond ETFs) – स्टेबिलिटी चाहिए?
फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश, जैसे:
सरकारी बॉन्ड (Government Bonds)
कॉरपोरेट डेट (Corporate Debt)
फायदे:शेयर मार्केट से लो कोरिलेशन (सहसंबंध)
रेगुलर इनकम (डिविडेंड)
कैपिटल प्रिजर्वेशन
उदाहरण: Bharat Bond ETF (भारत सरकार द्वारा बैक्ड)
4. गोल्ड ETF (Gold ETFs) – डिजिटल सोना
भौतिक सोना खरीदे बिना गोल्ड में इन्वेस्टमेंट:
हर यूनिट 99.5% शुद्ध सोने पर आधारित
कोई स्टोरेज/इंश्योरेंस चिंता नहीं
SIP के जरिए छोटी रकम से शुरुआत
क्यों जरूरी? इन्फ्लेशन (महंगाई) के खिलाफ हेजिंग और पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन।
5. इंटरनेशनल ETF (International ETFs) – ग्लोबल एक्सपोजर
विदेशी मार्केट्स में निवेश का सबसे आसान तरीका:
US मार्केट ETF (NASDAQ, S&P 500 ट्रैकर्स)
Emerging Markets ETF
की बेनिफिट्स:जियोग्राफिक डायवर्सिफिकेशन (भौगोलिक विविधीकरण)
करेंसी एडवांटेज (रुपये के कमजोर होने पर अतिरिक्त रिटर्न)
Google, Apple जैसी ग्लोबल कंपनियों में हिस्सेदारी
ETF चुनते समय ध्यान रखें ये 5 फैक्टर्स
ट्रैकिंग एरर (Tracking Error): ETF अपने बेस इंडेक्स को कितनी एक्यूरेटली फॉलो करता है? कम एरर बेहतर।
एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): ज्यादा AUM वाले ETFs में लिक्विडिटी बेहतर होती है।
एक्सपेंस रेशियो: भारत में यह 0.05% से 1% के बीच होता है। लोअर बेहतर।
लिक्विडिटी: डेली ट्रेडिंग वॉल्यूम चेक करें।
टैक्स इफिशिएंसी: इक्विटी ETF में लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन 10% टैक्स (1 लाख से ऊपर), गोल्ड ETF में 20% टैक्स।
ETF निवेशकों के लिए टिप्स
शुरुआत: बड़े AUM वाले इंडेक्स ETF से शुरू करें (जैसे Nifty 50)
बैलेंस: गोल्ड + इक्विटी ETF का कॉम्बो रिस्क कम करता है
SIP: ETF में भी SIP कर सकते हैं (Zerodha, Groww जैसे प्लेटफॉर्म्स पर)
एक्सिट प्लान: टार्गेट प्राइस या ड्यूरेशन तय करें
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q: ETF और म्यूचुअल फंड में क्या अंतर है?
A: ETF एक्सचेंज पर रियल-टाइम ट्रेड होते हैं, जबकि म्यूचुअल फंड्स का NAV दिन के अंत में कैल्कुलेट होता है।
Q: क्या ETF में डिविडेंड मिलता है?
A: हां! कई ETFs डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन (आय वितरण) करते हैं, खासकर बॉन्ड ETF।
Q: छोटे निवेशक ETF में कैसे निवेश कर सकते हैं?
A: डीमैट अकाउंट खोलें। 1 यूनिट (लगभग ₹100-500) से भी शुरुआत कर सकते हैं।
Conclusion
ETF ने डेमोक्रेटाइज्ड इन्वेस्टिंग (निवेश को सबके लिए सुलभ बनाया) है। चाहे आप कंजर्वेटिव निवेशक हों या एग्रेसिव, ETF का कोई न कोई प्रकार आपकी स्ट्रैटेजी में फिट होगा। इंडेक्स फंड्स से स्टार्ट करें, फिर अपनी रिस्क क्षमता के हिसाब से सेक्टोरल या इंटरनेशनल ETF ऐड करें।
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