
इस लेख में हम ” Best Fundamental Ratios for Value Investing” पर चर्चा करेंगे, जहाँ आप सीखेंगे
Stock Market में P/E Ratio कैसे काम करता है?
Debt-to-Equity Ratio क्यों मायने रखता है?
ROE कितना होना चाहिए अच्छे स्टॉक के लिए?
Introduction
शेयर बाजार में निवेश करते समय कंपनियों के वित्तीय स्वास्थ्य को समझना बेहद जरूरी है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण वित्तीय अनुपात (Financial Ratios) जैसे P/E रेश्यो (Price-to-Earnings Ratio), डेट-टू-इक्विटी (Debt-to-Equity Ratio), और रिटर्न ऑन इक्विटी (Return on Equity – ROE) का विश्लेषण किया जाता है। ये अनुपात निवेशकों को यह समझने में मदद करते हैं कि क्या कोई स्टॉक खरीदने लायक है या नहीं।
1. P/E रेश्यो (Price-to-Earnings Ratio)
P/E रेश्यो क्या है?
P/E रेश्यो (Price-to-Earnings Ratio) एक वित्तीय मापदंड है जो कंपनी के शेयर की कीमत और उसके प्रति शेयर आय (EPS) के बीच संबंध दर्शाता है। यह बताता है कि निवेशक कंपनी के ₹1 की कमाई के लिए कितना भुगतान करने को तैयार हैं।
P/E रेश्यो की गणना कैसे करें?
P/E Ratio=शेयर की मौजूदा कीमत (Market Price)प्रति शेयर आय (EPS)P/E Ratio=प्रति शेयर आय (EPS)शेयर की मौजूदा कीमत (Market Price)
Example :
मान लीजिए कंपनी ABC का शेयर प्राइस ₹500 है और उसका EPS ₹25 है।P/E Ratio=50025=20P/E Ratio=25500=20
इसका मतलब है कि निवेशक कंपनी के ₹1 की कमाई के लिए ₹20 देने को तैयार हैं।
P/E रेश्यो के प्रकार
- ट्रेलिंग P/E (Trailing P/E): पिछले 12 महीनों के EPS के आधार पर गणना।
- फॉरवर्ड P/E (Forward P/E): भविष्य के अनुमानित EPS के आधार पर गणना।
P/E रेश्यो का महत्व
- उच्च P/E: मार्केट कंपनी से भविष्य में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद करता है।
- निम्न P/E: कंपनी अंडरवैल्यूड हो सकती है या उसकी ग्रोथ धीमी है।
Comparison :
- IT सेक्टर का औसत P/E 25-30 हो सकता है, जबकि बैंकिंग सेक्टर का 10-15।

2. डेट-टू-इक्विटी रेश्यो (Debt-to-Equity Ratio – D/E)
डेट-टू-इक्विटी रेश्यो क्या है?
यह अनुपात कंपनी के कुल ऋण (Debt) और शेयरहोल्डर्स की इक्विटी (Equity) के बीच संबंध दर्शाता है। यह बताता है कि कंपनी अपने व्यवसाय को चलाने के लिए कितना उधार (Debt) ले रही है।
डेट-टू-इक्विटी की गणना
Debt-to-Equity Ratio=कुल ऋण (Total Debt)कुल इक्विटी (Total Equity)Debt-to-Equity Ratio=कुल इक्विटी (Total Equity)कुल ऋण (Total Debt)
Example :
कंपनी XYZ का कुल ऋण ₹200 करोड़ और इक्विटी ₹400 करोड़ है।D/E Ratio=200400=0.5D/E Ratio=400200=0.5
इसका मतलब है कि कंपनी ने अपने व्यवसाय के लिए इक्विटी के मुकाबले आधा ऋण लिया है।
डेट-टू-इक्विटी का महत्व
- उच्च D/E (1 से अधिक): कंपनी ज्यादा कर्ज पर निर्भर है, जो जोखिम भरा हो सकता है।
- निम्न D/E (1 से कम): कंपनी कम कर्ज लेकर चल रही है, जो सुरक्षित माना जाता है।
Comparison :
- इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों का D/E अक्सर 2+ होता है क्योंकि उन्हें प्रोजेक्ट्स के लिए ज्यादा लोन चाहिए।
- IT कंपनियों का D/E आमतौर पर 0.5 से कम होता है क्योंकि उन्हें कम कर्ज की जरूरत होती है।
3. रिटर्न ऑन इक्विटी (Return on Equity – ROE)
ROE क्या है?
ROE एक प्रॉफिटेबिलिटी अनुपात है जो बताता है कि कंपनी ने शेयरहोल्डर्स के निवेश पर कितना रिटर्न कमाया।
ROE की गणना
ROE=शुद्ध आय (Net Income)शेयरहोल्डर्स की इक्विटी (Shareholders’ Equity)×100ROE=शेयरहोल्डर्स की इक्विटी (Shareholders’ Equity)शुद्ध आय (Net Income)×100
Example :
कंपनी PQR की शुद्ध आय ₹50 करोड़ और इक्विटी ₹200 करोड़ है।ROE=50200×100=25%ROE=20050×100=25%
यानी कंपनी ने शेयरहोल्डर्स के निवेश पर 25% रिटर्न दिया।
ROE का महत्व
- उच्च ROE (15%+): कंपनी प्रभावी तरीके से मुनाफा कमा रही है।
- निम्न ROE (10% से कम): कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी कमजोर हो सकती है।
Comparison :
- FMCG कंपनियों (जैसे HUL) का ROE 20-30% हो सकता है।
- बैंकिंग सेक्टर में ROE 10-15% के आसपास होता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. क्या उच्च P/E रेश्यो हमेशा अच्छा होता है?
नहीं, कभी-कभी उच्च P/E का मतलब हो सकता है कि स्टॉक ओवरवैल्यूड है।
2. डेट-टू-इक्विटी रेश्यो कितना होना चाहिए?
आदर्श रूप से 1 से कम, लेकिन सेक्टर के हिसाब से अलग हो सकता है।
3. ROE और ROI में क्या अंतर है?
ROE सिर्फ इक्विटी निवेश पर रिटर्न देता है, जबकि ROI (Return on Investment) पूरे निवेश पर।
Conclusion
P/E रेश्यो, डेट-टू-इक्विटी और ROE तीनों ही किसी कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को जांचने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- P/E स्टॉक की वैल्यूएशन बताता है।
- D/E कंपनी के कर्ज का स्तर दिखाता है।
- ROE बताता है कि कंपनी ने शेयरहोल्डर्स के पैसे पर कितना रिटर्न दिया।
इन अनुपातों को एक साथ देखकर ही बेहतर निवेश निर्णय लिया जा सकता है।
अगले लेख के लिए टॉपिक
अगले लेख में हम “EPS (Earnings Per Share), फ्री कैश फ्लो और प्राइस-टू-बुक वैल्यू रेश्यो” के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। ये अनुपात भी स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।