How to Read a Balance Sheet of a Company in India?
How to read a balance sheet of Indian companies for beginners

इस लेख में हम ” How to Read a Balance Sheet of a Company in India? “ पर चर्चा करेंगे, जहाँ आप सीखेंगे कि
✅ बैलेंस शीट क्या होता है?
✅ बैलेंस शीट के मुख्य घटक (Components)
✅ बैलेंस शीट को कैसे पढ़ें? (Step-by-Step Guide)
✅ एक उदाहरण के साथ समझें (Example with a Script)
✅ बैलेंस शीट vs प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट (P&L) क्या हैं?
1. बैलेंस शीट क्या होता है? (What is a Balance Sheet?)
बैलेंस शीट किसी कंपनी का एक स्नैपशॉट (Snapshot) होता है, जो यह बताता है कि कंपनी के पास क्या-क्या है (Assets), उस पर कितना कर्ज है (Liabilities) और शेयरहोल्डर्स का कितना हिस्सा है (Equity)।
📌 बैलेंस शीट का फॉर्मूला (Balance Sheet Equation):
Assets = Liabilities + Shareholders’ Equity
इसका मतलब यह है कि कंपनी की सारी संपत्ति या तो लोन (Liabilities) से खरीदी गई है या शेयरहोल्डर्स के पैसे (Equity) से।
2. बैलेंस शीट के मुख्य घटक (Key Components of a Balance Sheet)
बैलेंस शीट को तीन मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है:
A. संपत्ति (Assets)
यह कंपनी के स्वामित्व वाली सभी चीजें हैं, जिन्हें दो भागों में बाँटा जाता है:
- चालू संपत्ति (Current Assets) – जिन्हें 1 साल में नकदी में बदला जा सकता है।
- नकद और नकद समकक्ष (Cash & Cash Equivalents)
- इन्वेंटरी (Inventory)
- प्राप्य खाते (Accounts Receivable)
- गैर-चालू संपत्ति (Non-Current Assets) – जिन्हें 1 साल से अधिक समय में बेचा जाता है।
- संपत्ति, प्लांट और उपकरण (Property, Plant & Equipment – PPE)
- दीर्घकालिक निवेश (Long-term Investments)
- अमूर्त संपत्ति (Intangible Assets – जैसे पेटेंट, ट्रेडमार्क)
B. देनदारियाँ (Liabilities)
यह कंपनी पर बकाया कर्ज या भुगतान हैं, जिन्हें दो भागों में बाँटा जाता है:
- चालू देनदारियाँ (Current Liabilities) – जिनका भुगतान 1 साल में करना होता है।
- देय खाते (Accounts Payable)
- अल्पकालिक ऋण (Short-term Loans)
- गैर-चालू देनदारियाँ (Non-Current Liabilities) – जिनका भुगतान 1 साल से अधिक समय में करना होता है।
- दीर्घकालिक ऋण (Long-term Debt)
- पेंशन दायित्व (Pension Liabilities)
C. शेयरहोल्डर्स की इक्विटी (Shareholders’ Equity)
यह कंपनी में मालिकों (शेयरधारकों) का हिस्सा होता है।
- पूँजी (Share Capital)
- बरकरार आय (Retained Earnings)
- रिजर्व (Reserves)
3. बैलेंस शीट कैसे पढ़ें? (Step-by-Step Guide to Read a Balance Sheet)
स्टेप 1: संपत्ति (Assets) की जाँच करें
- क्या कंपनी के पास पर्याप्त नकदी है? (Cash & Equivalents)
- इन्वेंटरी और प्राप्य खाते कितने हैं? (अगर प्राप्य खाते बढ़ रहे हैं, तो कंपनी को पैसा वसूलने में दिक्कत हो सकती है।)
स्टेप 2: देनदारियाँ (Liabilities) देखें
- क्या कंपनी पर ज्यादा कर्ज है? (High Debt = High Risk)
- क्या करंट लायबिलिटीज, करंट एसेट्स से ज्यादा हैं? (अगर हाँ, तो कंपनी को लिक्विडिटी समस्या हो सकती है।)
स्टेप 3: इक्विटी (Equity) का विश्लेषण करें
- क्या रिटेन्ड अर्निंग्स बढ़ रही हैं? (अगर हाँ, तो कंपनी प्रॉफिट में है।)
- क्या शेयर कैपिटल बार-बार बढ़ाया जा रहा है? (इसका मतलब कंपनी को फंड की जरूरत है।)
4. उदाहरण: TCS (Tata Consultancy Services) का बैलेंस शीट विश्लेषण
(Example: Balance Sheet Analysis of TCS – FY 2023)
आइटम (Item) | राशि (Amount in ₹ Cr) |
---|---|
कुल संपत्ति (Total Assets) | 1,50,000 |
– चालू संपत्ति (Current Assets) | 80,000 |
– गैर-चालू संपत्ति (Non-Current Assets) | 70,000 |
कुल देनदारियाँ (Total Liabilities) | 40,000 |
– चालू देनदारियाँ (Current Liabilities) | 25,000 |
– गैर-चालू देनदारियाँ (Non-Current Liabilities) | 15,000 |
शेयरहोल्डर्स इक्विटी (Shareholders’ Equity) | 1,10,000 |
📌 Analysis :
- TCS के पास ₹1.5 लाख करोड़ की संपत्ति है।
- इसमें से ₹40,000 करोड़ कर्ज है, जो कम है (Low Debt Company)।
- इक्विटी ₹1.1 लाख करोड़ है, जो अच्छा संकेत है।
5. बैलेंस शीट vs प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट (Balance Sheet vs P&L Statement)
पैरामीटर | बैलेंस शीट | P&L स्टेटमेंट |
---|---|---|
उद्देश्य | कंपनी की वित्तीय स्थिति | कंपनी का लाभ/हानि |
समय अवधि | एक निश्चित तिथि पर | एक निश्चित अवधि के लिए |
मुख्य घटक | Assets, Liabilities, Equity | Revenue, Expenses, Profit |
6. अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या बैलेंस शीट से कंपनी का प्रॉफिट पता चलता है?
नहीं, प्रॉफिट P&L स्टेटमेंट से पता चलता है, लेकिन बैलेंस शीट में रिटेन्ड अर्निंग्स से पता चलता है कि कंपनी ने कितना प्रॉफिट जमा किया है।
Q2. कर्ज (Debt) ज्यादा होने पर क्या करें?
अगर कंपनी का Debt-to-Equity Ratio 1 से ज्यादा है, तो यह जोखिम भरा हो सकता है।
Q3. कौन-सी कंपनी का बैलेंस शीट अच्छा माना जाता है?
- कम कर्ज (Low Debt)
- ज्यादा नकदी (High Cash Reserves)
- बढ़ती हुई इक्विटी (Growing Equity)
Conclusion
बैलेंस शीट को समझकर आप किसी भी कंपनी की वित्तीय मजबूती (Financial Strength) का पता लगा सकते हैं। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो बैलेंस शीट, P&L और कैश फ्लो स्टेटमेंट तीनों को मिलाकर विश्लेषण करें।
अगले लेख की जानकारी (Next Topic Preview)
अगले लेख में हम “प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट (P&L) कैसे पढ़ें?” पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इसमें आप सीखेंगे:
- P&L स्टेटमेंट क्या है?
- Revenue, Expenses और Net Profit कैसे चेक करें?
- EBITDA और PAT में क्या अंतर है?
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