How to Pick Undervalued Stocks in India Using Fundamental Analysis
What are the best financial ratios to find undervalued stocks?

Introduction
शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका है “अंडरवैल्यूड स्टॉक्स” (Undervalued Stocks) की पहचान करना। ये वो स्टॉक्स होते हैं जिनकी वास्तविक कीमत (Intrinsic Value) उनके मार्केट प्राइस से ज्यादा होती है, लेकिन कुछ कारणों से ये कम दाम पर ट्रेड हो रहे होते हैं। इन्हें खरीदकर आप लंबे समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
इस लेख में हम स्टेप बाय स्टेप गाइड के साथ जानेंगे कि How to Pick Undervalued Stocks in India Using Fundamental Analysis , किन फंडामेंटल और टेक्निकल पहलुओं को देखना चाहिए, और कुछ उदाहरणों के साथ समझेंगे।
1. अंडरवैल्यूड स्टॉक क्या होते हैं? (What are Undervalued Stocks?)
English Summary: Undervalued stocks are those trading below their intrinsic value due to temporary reasons, making them a good investment opportunity.
अंडरवैल्यूड स्टॉक वे होते हैं जिनका मार्केट प्राइस (Market Price) उनकी इंट्रिन्सिक वैल्यू (Intrinsic Value) से कम होता है। इंट्रिन्सिक वैल्यू कंपनी के फंडामेंटल्स (जैसे कमाई, ग्रोथ, एसेट्स) के आधार पर निकाली जाती है।
क्यों स्टॉक अंडरवैल्यूड हो जाते हैं? (Reasons for Undervaluation)
- मार्केट में नेगेटिव सेंटिमेंट (Negative Sentiment) – किसी खबर या अस्थायी समस्या के कारण।
- सेक्टर में मंदी (Sector Downturn) – पूरा सेक्टर डाउन होने पर अच्छी कंपनियां भी सस्ती हो जाती हैं।
- कमजोर क्वार्टरली रिजल्ट (Weak Quarterly Results) – शॉर्ट-टर्म प्रॉफिट में गिरावट के कारण।
- ओवररेक्शन (Overreaction) – निवेशक डर के कारण शेयर बेच देते हैं।
2. अंडरवैल्यूड स्टॉक्स कैसे चुनें? (Step-by-Step Guide to Pick Undervalued Stocks)

स्टेप 1: फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis)
English Summary: Analyze financial statements, ratios, and business models to find undervalued stocks.
A. P/E Ratio (Price-to-Earnings Ratio)
- फॉर्मूला: P/E Ratio = मार्केट प्राइस प्रति शेयर / EPS (Earnings Per Share)
- उदाहरण: अगर किसी कंपनी का शेयर प्राइस ₹500 है और EPS ₹25 है, तो P/E = 500/25 = 20
- कम P/E (Industry Average से कम) → संभावित अंडरवैल्यूड स्टॉक
B. P/B Ratio (Price-to-Book Ratio)
- फॉर्मूला: P/B Ratio = मार्केट प्राइस / बुक वैल्यू प्रति शेयर
- उदाहरण: अगर शेयर प्राइस ₹200 है और बुक वैल्यू ₹150, तो P/B = 200/150 = 1.33
- P/B < 1 → कंपनी की एसेट्स के मुकाबले स्टॉक सस्ता है
C. Debt-to-Equity Ratio
- फॉर्मूला: कुल कर्ज / शेयरहोल्डर्स की इक्विटी
- कम डेब्ट (Debt/Equity < 1) → कंपनी कर्ज में कम है, जोखिम कम
D. Dividend Yield
- फॉर्मूला: (डिविडेंड प्रति शेयर / मार्केट प्राइस) × 100
- उच्च डिविडेंड यील्ड (Industry से ज्यादा) → अच्छा साइन
स्टेप 2: ग्रोथ पोटेंशियल चेक करें (Growth Potential)
- रेवेन्यू और प्रॉफिट ग्रोथ (Revenue & Profit Growth) – पिछले 5 साल का डाटा देखें।
- मैनेजमेंट क्वालिटी (Management Quality) – क्या प्रमोटर्स और मैनेजमेंट विश्वसनीय हैं?
- इंडस्ट्री आउटलुक (Industry Outlook) – सेक्टर में ग्रोथ की संभावना कितनी है?
स्टेप 3: टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis – Support & Resistance)
- 52-Week Low के आसपास ट्रेडिंग → संभावित अंडरवैल्यूड जोन
- RSI (Relative Strength Index) < 30 → ओवरसोल्ड कंडीशन
स्टेप 4: कंपेटिटर्स से तुलना (Peer Comparison)
- Example :
- Tata Motors vs Maruti Suzuki
- अगर Tata Motors का P/E Maruti से कम है, लेकिन ग्रोथ अच्छी है, तो यह अंडरवैल्यूड हो सकता है।
- Tata Motors vs Maruti Suzuki
3. उदाहरण: एक अंडरवैल्यूड स्टॉक की पहचान (Example – Identifying an Undervalued Stock)
English Summary: Practical example of analyzing a stock (e.g., ITC) to check if it’s undervalued.
ITC Ltd. का Analysis (April 2024)
- P/E Ratio: 23 (FMCG Industry Avg: 35) → कम P/E
- P/B Ratio: 6.5 (Industry Avg: 8) → बेहतर
- Debt-to-Equity: 0.05 → बहुत कम कर्ज
- Dividend Yield: 3.5% (Industry Avg: 2%) → अच्छा
- RSI: 28 (Oversold)
Conclusion : ITC अंडरवैल्यूड हो सकता है क्योंकि इसके फंडामेंटल्स मजबूत हैं और P/E इंडस्ट्री से कम है।
4. अंडरवैल्यूड vs ओवरवैल्यूड स्टॉक्स (Undervalued vs Overvalued Stocks)
पैरामीटर | अंडरवैल्यूड स्टॉक | ओवरवैल्यूड स्टॉक |
---|---|---|
P/E Ratio | Industry Avg से कम | Industry Avg से ज्यादा |
P/B Ratio | < 1 या Industry से कम | > Industry Avg |
RSI | < 30 (Oversold) | > 70 (Overbought) |
डिविडेंड यील्ड | ज्यादा | कम |
5. अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या अंडरवैल्यूड स्टॉक हमेशा अच्छे होते हैं?
जवाब: नहीं, कभी-कभी कंपनी में कोई बड़ी समस्या होती है, इसलिए फंडामेंटल चेक करें।
Q2. अंडरवैल्यूड स्टॉक कब तक होल्ड करना चाहिए?
जवाब: जब तक स्टॉक अपनी इंट्रिन्सिक वैल्यू तक न पहुंच जाए या आपका टार्गेट हिट न हो।
Q3. क्या टेक्निकल एनालिसिस जरूरी है?
जवाब: फंडामेंटल प्राथमिक है, लेकिन टेक्निकल एंट्री-एग्जिट में मदद करता है।
Conclusion
अंडरवैल्यूड स्टॉक्स की पहचान करना एक कला है जिसमें फंडामेंटल एनालिसिस, सेक्टर स्टडी और पेशेंस की जरूरत होती है। अगर आप सही स्टॉक चुनकर लंबे समय तक होल्ड करते हैं, तो मल्टीबैगर रिटर्न्स मिल सकते हैं।
अगले लेख के लिए (Next Topic Preview)
अगले लेख में हम “Dividend Investing India – High Dividend Yield Stocks 2025“ पर चर्चा करेंगे।